Thursday, 11 August 2016

प्रेम से रहित मनुष्‍य

" प्रेम से रहित मनुष्‍य मात्र एक दुर्घटना है! "

हिटलर ने जर्मनी में साठ लाख यहूदियों की हत्‍या की। पाँच सौ यहूदी रोज मारता रहा। स्‍टैलिन ने रूस में साठ लाख लोगों की हत्‍या की। जरूर इनके जन्‍म के साथ कोई गड़बड़ हो गयी। जरूर ये जन्‍म के साथ पागल पैदा हुए। उन्‍माद इनके जन्‍म के साथ इनके खून में आया और फिरा वे इसको फैलाते चले गये। पागलों में बड़ी ताकत होती है। पागल कब्‍जा कर लेते है और दौड़ कर हावी हो जाते है—धन पर,पद पर, यश पर, फिर वे सारी दूनिया को विकृत करते है। पागल ताकतवर होते है।

यह जो पागलों ने दुनिया बनायी है। यह दुनिया तीसरे महायुद्ध के करीब आ गयी है। सारी दुनिया मरेगी। पहले महायुद्ध में साढ़े तीन करोड लोगों की हत्‍या की गई। दूसरे महायुद्घ में साढ़े सात करोड़ लोगों की हत्या की गई। तब तीसरे में कितनी की जायेगी?

मैंने सूना है जब आइन्सटीन भगवान के घर पहुंच गया तो भगवान ने उससे पूछा कि मैं बहुत घबराया हुआ हूं। तीसरे महायुद्ध के संबंध में कुछ बताओगे? क्‍या होगा? उसने कहा, तीसरे के बाबत कहना मुश्‍किल है, चौथे के संबंध में कुछ जरूर बता सकता हूं। भगवान ने कहा, तीसरे के बाबत नहीं बता सकते तो चौथे के बाबत कैसे बताओगे? आइन्‍सटीन ने कहा एक बात बता सकता हूं चौथे के बाबत कि चौथा महायुद्ध कभी नहीं होगा। क्‍योंकि तीसरे में सब समाप्‍त हो जायेगा। चौथे के होने की कोई संभावना नहीं है। और तीसरे के बाबत कुछ भी कहना मुश्‍किल है कि साढ़े तीर अरब पागल आदमी क्‍या करेंगे? तीसरे महायुद्ध में कुछ नहीं कहा जा सकता कि क्‍या स्‍थिति होगी।

प्रेम से रहित मनुष्‍य मात्र एक दुर्घटना है—मैं अंत में यह बात निवेदन करना चाहता हूं।

मेरी बातें बड़ी अजीब लगी होंगी; क्‍योंकि ऋषि मुनि इस तरह की बातें करते ही नहीं। मेरी बात बहुत अजीब लगी होगी। आपने सोचा होगा कि मैं भजन-कीर्तन का कोई नुस्‍खा बताऊंगा। आपने सोचा होगा कि मैं कोई माला फेरने की तरकीब बतालाऊंगा। आपने सोचा होगा कि मैं कोई आपको ताबीज दे दूँगा। जिसको बांधकर आप परमात्‍मा से मिल जायें। ऐसी कोई बात में आपको नहीं बता सकता हूं। ऐसे बताने वाले सब बेईमान है, धोखेबाज है। समाज को उन्‍होंने बहुत बर्बाद किया है।

समाज की जिंदगी को समझने के लिए मनुष्‍य के पूरे विज्ञान को समझना जरूरी है। परिवार को दंपति को, समाज को—उसकी पूरी व्‍यवस्‍था को समझना जरूरी है। कि कहां गड़बड़ हुई है। अगर सारी दुनिया यह तय कर ले कि हम पृथ्‍वी में एक प्रेम का घर बनायेगे, झूठे विवाह का नहीं। हां, प्रेम से विवाह निकले तो यह सच्‍चा विवाह होगा। हम सारी दुनिया को प्रेम का एक मंदिर बनायेगे। जितनी कठिनाइयां होंगी। मुश्‍किलें होंगी, अव्‍यवस्‍था होगी। उसको संभालने का हम कोई उपाय खोजेंगे। उस पर विचार करेंगे। लेकिन दुनिया से हम यह अप्रेम का जो जाल है, इसको तोड़ देंगे। और प्रेम की एक दुनिया बनायेगे। तो शायद पूरी मनुष्‍यजाति बच सकती है। और स्‍वस्‍थ हो सकती है।

जोर देकर मैं आपके यह कहना चाहता हूं कि अगर सारे जगत में प्रेम के केंद्र पर परिवार बन जाये तो अति मानव सुपरमैन की कल्‍पना, जो हजारों साल से हो रही है। आदमी को महा मानव बनाने की—यह जो नीत्से कल्‍पना करता है, अरविंद कल्‍पना करते है—यह कल्‍पना पूरी हो सकती है, लेकिन न तो अरविंद को प्रार्थनाओं से और न नीत्से के द्वारा पैदा किये गये सिद्धांत से वह सपना पूरा हो सकता है।

अगर पृथ्‍वी पर हम प्रेम की प्रतिष्‍ठा को वापस लौटा लाये, अगर प्रेम जीवन में वापस लौट आये सम्‍मानित हो जाए; अगर प्रेम एक आध्‍यात्‍मिक मूल्‍य ले-ले, तो नये मानव का निर्माण हो सकता है। नयी संतति का नयी पीढ़ियों को नये आदमी का। और वह आदमी वह बच्‍चा वह भ्रूण जिसका पहला अणु प्रेम से जन्‍मेंगा, विश्‍वास किया जा सकता है आश्‍वासन दिया जा सकता है कि उसकी अंतिम सांस परमात्‍मा में निकलेगी।

प्रेम है प्रारंभ। परमात्‍मा है अंत। वह अंतिम सीढी है।

जो प्रेम को ही नहीं पाता है, वह परमात्‍मा को पा ही नहीं सकता, यह असंभावना है।

~ ओशो, प्रेम और विवाह, 'संभोग से समाधि की ओर',


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