Wednesday, 20 April 2016

संभोग से आनंद की ओर 1- आज का जीवन

 

 


संभोग से आनंद की ओर 1- आज का जीवन


आज परिवारो में कलह, असन्तोष, बिखरापन, अकेलापन, अधूरापन, चिड़चिड़ापन, निस्तेजता क्यो ब्याप्त होती जा रही हैं। शादी का सही अर्थ क्या है, क्या विवाह केवल सम्भोग की अजादी ही देता है या इससे भी कुछ ओर ज्यादा, हमारे परिवार क्यो बिखर रहें हैं। जहाँ शादी के बाद स्त्री पुरूष का मिलन ऊर्जा का संचय व एक दूसरे को चेतना के उच्च स्तर पर पहुँच कर सुख की अनुभूति कराना होना चाहिये था वही आज केवल स्त्री पुरूष का मिलन ऊर्जा का हासः व निस्तेजता पेदा करता हैं। क्यो

क्योकि हम इस ऊर्जा का प्रयोग करना नही जानतें हैं। जिस प्रकार ऊर्जा का प्रयोग कर बड़े-बड़े कार्य किये जाते है, बड़ी-बड़ी मसीने चलाई जाती है,ठीक उसी प्रकार ऊर्जा का संचय कर ग्रहस्थ रूपी मसीन को हम अनन्द रूप सें चलाने मे सक्षम हो सकते हैं। कैसे यह पुस्तक इसी जबाब को लेकर तैयार की गयी है। कि स्त्री पुरूष का मिलन केवल इन्द्रिय सुख तक ही सिमित नही हैं। वह इससे बहुत ज्यादा आगें आत्मिक सुख आन्नद की पराकाष्ठा तक जाने का रास्ता है। जरूरत है इसको जाननें की समझनें की, क्या आप अपने जीवन साथी को पूर्ण सन्तुष्ट कर पाते है, क्या उससे अपको आनन्द रूपी शक्ति मिलती है या क्या आपसे उसको आन्नद रूपी शक्ति मिलती हैं?????

                                                               

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