Thursday, 21 April 2016

संभोग से आनंद की ओर 2- सम्भोग व भोगता






संभोग से आनंद की ओर 2- सम्भोग व भोगता


सम्भोग का अर्थ क्या है। क्या हम कुछ पल के भोगी ही रहै गये है। हम 2 मिनट के इन्द्रिय सुख के लिये ही सम्भोग करते हैं। सम्भोग के समय क्या घटित होता हैं। जो आनन्द प्राप्त होता हैं। आज के जीवन में शायद ही कोई उसकी व्याख्या कर पायें जो उस पल घटित होता हैं। किन्तु प्रत्येक मनुष्य जीव यह चहाता है कि यह आन्नद स्थायी हो और फिर इस आन्नद को बह बहार ढूढता हैं। कभी दूसरी औरत में, कभी दूसरे पुरूष में, कभी मन्दिरो में, कभी नसीले पदार्थो में, किन्तु वह उसे कही नही पाता हैं। जो वह ढूढ रहा होता है, जहाँ उसे मिलना है वहाँ तो उसने उस आन्नद को कमजोरी मे बहा दिया ओर जहाँ नही मिलना वहाँ पूरी ताकत लगा रहा होता है उसे पाने के लिये।                                                 

   अच्छा एक विचार किजिये जब आप सेक्स कर रहे होते है ओर उसकी चरम सीमा पर पहुँच जाते है तो स्खलन से ठीक 5-10 सैकिन्ड पहले का आपको क्या अनुभव है। न इससे पहले न बाद में।

  उस समय आप क्या सोच रहे होते है, क्या कर रहै होते है, क्या आपके आन्दर घटित हो रहा होता है। शायद एक व्यक्ति भी इस बात का जबाब न दे पायें। क्योकि हमने इसे जाना ही नही, अनुभव ही नही किया। अगर किया होता तो हमारी चेतना उच्च स्तर पर पहुँचकर हमें आंनदित कर देती हम वह सब कुछ पा लेते जो पा लेने के लिये दौड़ते रहते हैं।




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