Tuesday, 12 July 2016

संभोग से आनंद की ओर 13- ऊर्जा का चक्र


संभोग से आनंद की ओर 13- ऊर्जा का चक्र








          स्त्री व पुरूष परस्पर विपरीत परन्तु एक दूसरे को आकृषित करनेवाली शक्तियाँ हैं। प्रत्येक मनुष्य के शरीर से हर समय ऊर्जा निकलती रहती हैं। जिसे आभामण्डल कहा जाता हैं। यह सामान्य आँखों से दिखाई नही देता परन्तु अपना अस्तित्व रखता हैं। अपना प्रभाव डालता हैं। यह प्रत्येक शरीर का अलग अलग होता है ओर इसका प्रभाव उन सभी पर पडता हे जो सम्पर्क मे आते है। इस प्रकार यह आर्कषण प्राकृतिक हैं। यह ऊर्जा पैदा करने से बढ़ जाता हैं। आज आभामण्डल से रोगों का एवम् आपकी आदतों का पता चल जाता हैं। पूरे अस्तित्व को यह आभामण्डल दर्शाता हैं। तथा जब हम ऊर्जा का प्रयोग करते हे तो इसमें तीव्र वृद्धि होती हैं। जिससे हमारे चारों तरफ प्रसन्नता, निरोगता, व अर्कषण अर्थात प्रेम की अनुभूतियाँ होती हैं।


                http://naturopathytherapy.blogspot.in/

संभोग के समय शरीर की प्रत्येक ग्रन्थि काम करने लगती हैं। प्रत्येक ग्रन्थि से स्राव होने लगता हैं। सभी अंग तीव्रता से काम करने लगते हैं। साँसो की गति बढ़ जाती हैं। नाड़ी 100 से भी ज्यादा बार धड़कने लगती हैं। तापमान 105°-106°F तक आ जाता हैं। जो सामान्य अवस्था मे मृत्यु का कारण बन सकता हैं। आखिर ये चमत्कार क्या है, क्यों मनुष्य सुधबुध खो देता है, इक अनजानी दुनिया मे चला जाता हैं। विज्ञान के पास इन बातों का कोई जबाब नही है कि उस समय इतनी ऊर्जा कैसे उत्पन्न होती हैं।

No comments:

Post a Comment