Wednesday, 11 April 2018

संभोग से आनंद की ओर 17- पहला अहसास


संभोग से आनंद की ओर 17-पहला अहसास

       ऊर्जा का संचय कैसे होगा ओर इसका आभास कैसा होता हैं। अपने कभी भी जब पहली बार किसी साथी को छुआ होगा या स्पर्श किया था, तब क्या घटित हुआ था, उस समय कैसी तरंग शरीर मे पैदा हुई थी, क्या लहर मनमे उठी थी, कैसा अनुभव था, आपका जब केवल उस स्पर्श से आपके साथ इतना कुछ हुआ था तो उसके बाद आपके अन्दर क्या ऊर्जा नही बढी, क्या आप उस साथी की ओर आकृषित नही हुए थे, क्या आपके अन्दर अनेक भावनाऐ विचार आनंद खुशी पैदा नही हुई थी यदि इनके जबाब हाँ हे तो समझे कि जब स्पर्श से इतनी ऊर्जा पैदा हो सकती हैं। तो संभोग के समय कितनी ऊर्जा पैदा होगी ओर उससे कितना आनंद व खुशी आप प्राप्त कर सकते हैं।
        स्पर्श के बाद जब पहली बार किसी साथी ने आपको चुंबन किया होगा तब क्या घटित हुआ था। स्पर्श की उत्पन्न ऊर्जा से चुंबन की ऊर्जा ज्यादा तंरगे पैदा कर गयीं होगी ओर आपने ज्यादा खुशी महसूस की होगी ओर इसी प्रकार केवल साथी के साथ बात करने, मिलने, हाथ पकड़ने, बालों मे उगली फिराने, साथ घूमने खाने आदि से आपको कैसे कैसे अनुभव होते है। याद करिये उस प्रत्येक पल को जो आपने साथी के साथ बिताया है, ओर उस पल आप आनंद से भर गये होगें। यहाँ संभोग नही है फिर भी तृप्ति हे, आनंद है। ओर जब आप साथी के साथ होते है तो दुनिया के विचार लुप्त हो जाते है, न जाने आप कहाँ खो जाते है, एक अजीब सी दुनिया का एहसास होता हैं। तो जब पास होने से इतना कुछ घटित हो सकता है तो संभोग तो इसकी पराकाष्ठा हे अनन्त आनंद व प्रेम की, तो हम उससे नीरसता कैसे प्राप्त करते है, कैसे कुंठाओ से भर जाते है, ओर जो संबंध शादी से पहले मधुर थे वही शादी के बाद क्यों बिखरने लगते है, क्यों दूरियां बनती जाती हैं। क्या हम गलत कर रहे हे जो सपने टूटने लगते हैं। इसी को जानना है। समझना है।

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