संभोग से आनंद की ओर
18--ऊर्जा के ह्रास के कारण
जब भी स्त्री व पुरूष के बीच आर्कषण होता है तो
समय मिलते ही वह सैक्स का आनंद लैना चहाते है। 30-40 साल पहले तक तो शायद, शादी तक भी लडके व लड़की को सैक्स का पता ही
नही होता था। जब संयम हमारे जीवन में था सालो शादी को हो जाते थे तब जाकर कहीं
सैक्स का मौका मिलता था ओर एकबार के बाद दोबारा भी शायद महीनों व बर्षो मे मौका
आता था। परन्तु आज समय बदल गया है ऐसे साधन (ईन्टरनेट, मल्टीमीडिया मोबाइल, सिनेमा हाल, टीवी आदि) हो गये हे, जहाँ सैक्स को किसी न किसी रूप मे
परोसा जा रहा हैं। हम जहाँ 11-12 साल को पार करते है, अधिकतर सैक्स को समझने लगते
है। ब्लू फिल्में नेट पर या मोबाइल मे डालकर देखना शुरू कर देते है। ओर वही से फिर
ऊर्जा का ह्रास शुरू होता है। जो क्रियाएँ हमारे शरीर मे परिपक्व होने पर (18-20 वर्ष)
होनी चाहिए थी वह 12 या कभी कभी तो 10 वर्ष मे ही शुरू हो जाती हैं। वह लडका हो या
लड़की सैक्स के बारे मे जान चुका होता है। ओर जब वह दृश्य देखता है तो विपरीत
लिंगी के प्रति अकृषित होता जाता है ओर जब विपरीत लिंगी साथी नही मिलता तो
समलैंगिक या अन्य अप्राकृतिक तरीके अपनाना शुरू कर देते हैं। जिससे ऊर्जा का ह्रास प्रारम्भ होता है। अभी ऊर्जा
अपनी परिपक्वता पर भी नही पहुँची थी ओर
उसका बिखराव शुरू हो जाता हैं। लड़कें नपुंसक व लडकियां ठंडी हो जाती है ओर जब
शादी होती है तो दोनों आनंद की पराकाष्ठा की भावना से अतृप्त रह जाते हैं।
पहले शादियाँ इसलिए लम्बी चलती थी क्योंकि उस समय ऊर्जा का संचय किया जाता
था चाहे वह अनजाने मे ही क्यों न किया
जाता रहा हो। काफी हद तक सही कहा जाये तो 50-75% लड़के लडकिया शादी से पहले ही इस
ऊर्जा का ह्रास कर चुके होते है। ओर यदि कुछ बचता भी है तो वह शादी के कुछ दिनों
मे रोजाना स्खलन करके खत्म कर दी जाती है, ओर शादी के साल दो साल बाद ही स्त्री
पुरूष से व पुरूष स्त्री से दूरियां बनाने लगता है। पति पत्नी जिनको लम्बी पारी
खेलनी थी वह कभी एक ओर कभी कभी दोनों के आउट होने से बिखर जाती है। अगर दोनों की
समान स्थिति हे तो कोई बात नही परन्तु सम्सया वहाँ ज्यादा होती हे जहाँ किसी एक के
अन्दर सैक्स करने की क्षमता कम या खत्म हो जाती है ओर दुसरे मे पूर्ण ऊर्जा होती हैं।
वहाँ ही सबसे ज्यादा बिखराव व तनाव होता है। जीवन नरक बन जाता है। फिर या तो दोनों
घुट घुट कर समझौता कर लेते है या तलाक ले लेते है या फिर आत्महत्या या पर स्त्री व
पर पुरूष गामी बन जाते है । इस प्रकार जो शादी जीवन भर एक साथी के साथ स्वर्ग
भोगने के लिए थी नरक मे बदल जाती हैं।
No comments:
Post a Comment