Tuesday, 11 October 2016

तंत्र विज्ञान

तंत्र विज्ञान है, और वह परमाणुविज्ञान से भी ज्यादा गहन विज्ञान है। परमाणु विज्ञान पदार्थ से संबंधित है; तंत्र तुमसे संबंधित है। और तुम सदा ही किसी भी परमाणुऊर्जा से अधिक खतरनाक हो। तंत्र तुमसे, जीवित कोशिका से, स्वयं जीवन चेतना से संबंधित है। यही वजह है कि काम या सेक् में तंत्र की इतनी गहरी रूचि है। जो व्यक्ति जीवन और चेतना में रूचि रखता है। वह अपने काम में दिलचस्पी लेगा
क्योंकि काम जीवन का स्त्रोत है, प्रेम का स्त्रोत है। चेतना का स्त्रोत है। चेतना के जगत में जो भी घट रहा है। उसका आधार काम है। और अगर कोई साधक काम में उत्सुक नहीं है। वह दार्शनिक हो सकता है वह साधक नहीं है। और दर्शनशास्त्र कामोबेश कचरा है। जो व्यर्थ की चीजों के संबंध में ऊहापोह करता है

तंत्र की उत्सुकता दर्शन में नहीं है। उसकी उत्सुकता वास्तविक और अस्तित्वगत जीवन में है। तंत्र कभी नहीं पूछता है कि क्या ईश्वर है, क्या मोक्ष है। क्या स्वर्गनरक है। तंत्र जीवन के संबंध में बुनियादी प्रश् पूछता है। यही कारण है कि काम या सेक् और प्रेम में उसकी इतनी रूचि है। काम और प्रेम बुनियादी है

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