यह बहुत आश्चर्य की बात है कि पश्चिम के, विशेषकर अमेरिका के न्युडिस्ट क्लबों में, जहां लोग नग्न स्त्री और पुरुष खेलते हैं, कूदतें है, बैठते हैं, मिलते--जुलतें है, एक बड़ा अजीब अनुभव हुआ, जिसका कि ख्याल नहीं था।आमतौर से हमारी धारणा है कि स्त्री नग्न होेने में ज्यादा अड़चन अनुभव करेगी, शरमाएगी, पर यह अनुभव हुआ नहीं। जितने न्युडिस्ट क्लब है दुनिया में, उन सबका नतीजा यह है कि स्त्रीयां बडी़ जल्दी नग्न होने को तैयार होती है, पुरुष अड़चन डालता है।
मगर यह बात योग से तालमेल खाती है। पुरुष ही अड़चन डालेगा। क्योंकि स्त्री की वासना शरीर से प्रगट नहीं हो पाती; पुरुष की वासना तत्खण प्रगट होती है, इसलिए पुरुष ज्यादा डरता है नग्न होने में। कपडो़ में वह ढंका हुआ, अपनी सज्जनता को सम्हाले हुए, शिष्टता को, साधुता को सम्हाले हुए चलता है। नहीं तो हर सुंदर स्त्री उसे प्रभावित करती है। और वह प्रभाव सिर्फ मन पर ही नहीं होता, तत्खण...क्योंकि काम--केंद्र, मन में जरा-सा कंपन हुआ कि तत्काल प्रभावित हो जाता है।
पुरुष की जननेंद्रिय तत्काल खबर दे देगी कि वह कामातुर है। वह आंखें बचाए, सब करे, उससे कुछ फर्क नहीं पड़ता। और एक बड़ी महत्वपूर्ण बात है कि आप शरीर में सब अंगों को धोखा दे सकते हैं, जननेंद्रिय को आप धोखा नहीं दे सकते। वह सबसे ज्यादा आथेंटिक, प्रामाणिक इंद्रिय है। आपको आंख खोलना हो, आप बंद कर सकते हैं। बंद करना हो, आप खोल सकते हैं। आप आंख से विपरीत काम ले सकते हैं, लेकिन जननेंद्रिय से नहीं।
अगर जननेंद्रिय कामवासना से भर गई, तो आप कुछ भी नहीं कर सकते। और अगर न भरे, तो आप भरने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते। जननेंद्रिय स्वचालित है। उसमें इतनी उर्जा है कि वह अपनी गति खुद ही करती है।
सारे नग्न क्लबों में यह अनुभव हुआ कि पुरुष डरता है नग्न होने से, संकोच करता है, भयभीत होता है। स्त्रीयां जरा भी भयभीत नहीं होती, क्योंकि स्त्री का शरीर निगेटिव है, पैसिव है, नकारात्मक है। उसकी जननेंद्रिय छिपी हुई है। उसे छिपाने की इतनी कोई आवश्यकता नहीं है। उससे कुछ जाहिर नहीं होता कि उसके भीतर क्या घट रहा है।
फिर चूँकि स्त्री का पूरा काम निष्क्रिय है, इसलिए जब तक उसे जगाया न जाए, वह जागा हुआ नहीं होता। पुरुष का काम आक्रमक है; वह जागा ही हुआ है। जरा-सी चिनगारी की जरूरत है कि वह जाग जाएगा।
कपड़े आदमी ने खोजे है कामवासना को छिपाने के लिए, ढांकने के लिए।
जब भी आपको जरा-सा भी खयाल हो कि काम--इंद्रिय सक्रिय हुई और कामवासना भर गई है, आप तत्खण आंख बंद कर लें, सारे यंत्र को सिकोड़ लें ऊपर की तरफ, और एक ही धारणा से भर जाएं कि ऊर्जा ऊपर की तरफ बह रही है। या हू की चोट करें।
ओशो...कठोपनिषद, प्रवचन १७...नमस्कार!
मगर यह बात योग से तालमेल खाती है। पुरुष ही अड़चन डालेगा। क्योंकि स्त्री की वासना शरीर से प्रगट नहीं हो पाती; पुरुष की वासना तत्खण प्रगट होती है, इसलिए पुरुष ज्यादा डरता है नग्न होने में। कपडो़ में वह ढंका हुआ, अपनी सज्जनता को सम्हाले हुए, शिष्टता को, साधुता को सम्हाले हुए चलता है। नहीं तो हर सुंदर स्त्री उसे प्रभावित करती है। और वह प्रभाव सिर्फ मन पर ही नहीं होता, तत्खण...क्योंकि काम--केंद्र, मन में जरा-सा कंपन हुआ कि तत्काल प्रभावित हो जाता है।
पुरुष की जननेंद्रिय तत्काल खबर दे देगी कि वह कामातुर है। वह आंखें बचाए, सब करे, उससे कुछ फर्क नहीं पड़ता। और एक बड़ी महत्वपूर्ण बात है कि आप शरीर में सब अंगों को धोखा दे सकते हैं, जननेंद्रिय को आप धोखा नहीं दे सकते। वह सबसे ज्यादा आथेंटिक, प्रामाणिक इंद्रिय है। आपको आंख खोलना हो, आप बंद कर सकते हैं। बंद करना हो, आप खोल सकते हैं। आप आंख से विपरीत काम ले सकते हैं, लेकिन जननेंद्रिय से नहीं।
अगर जननेंद्रिय कामवासना से भर गई, तो आप कुछ भी नहीं कर सकते। और अगर न भरे, तो आप भरने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते। जननेंद्रिय स्वचालित है। उसमें इतनी उर्जा है कि वह अपनी गति खुद ही करती है।
सारे नग्न क्लबों में यह अनुभव हुआ कि पुरुष डरता है नग्न होने से, संकोच करता है, भयभीत होता है। स्त्रीयां जरा भी भयभीत नहीं होती, क्योंकि स्त्री का शरीर निगेटिव है, पैसिव है, नकारात्मक है। उसकी जननेंद्रिय छिपी हुई है। उसे छिपाने की इतनी कोई आवश्यकता नहीं है। उससे कुछ जाहिर नहीं होता कि उसके भीतर क्या घट रहा है।
फिर चूँकि स्त्री का पूरा काम निष्क्रिय है, इसलिए जब तक उसे जगाया न जाए, वह जागा हुआ नहीं होता। पुरुष का काम आक्रमक है; वह जागा ही हुआ है। जरा-सी चिनगारी की जरूरत है कि वह जाग जाएगा।
कपड़े आदमी ने खोजे है कामवासना को छिपाने के लिए, ढांकने के लिए।
जब भी आपको जरा-सा भी खयाल हो कि काम--इंद्रिय सक्रिय हुई और कामवासना भर गई है, आप तत्खण आंख बंद कर लें, सारे यंत्र को सिकोड़ लें ऊपर की तरफ, और एक ही धारणा से भर जाएं कि ऊर्जा ऊपर की तरफ बह रही है। या हू की चोट करें।
ओशो...कठोपनिषद, प्रवचन १७...नमस्कार!
Kalpant Healing Center
Dr J.P Verma (Swami Jagteswer
Anand Ji)
(Md-Acu, BPT, C.Y.Ed, Reiki Grand
Master, NDDY & Md Spiritual Healing)
Physiotherapy, Acupressure, Naturopathy, Yoga, Pranayam, Meditation, Reiki, Spiritual & Cosmic Healing, (Treatment & Training Center)
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