Wednesday 7 February 2018

अन्य स्त्रियों में उत्सुकता

प्रश्न :- मैं अपनी पत्नी के

अतिरिक्त अन्य स्त्रियों

में भी उत्सुक हो जाता हूं।

लेकिन जब मेरी पत्नी किसी

पुरुष में उत्सुकता दिखाती है

तो मुझे बड़ी ईर्ष्या होती है,
भयंकर अग्नि में मैं जलता हूं !

ओशो :
पुरुषों ने सदा से अपने लिए
सुविधाएं बना रखी थीं,
स्त्रियों को अवरुद्ध कर रखा था।
पुरुषों ने स्त्रियों को बंद कर दिया
था मकानों की चार दीवारों में,

और पुरुष ने अपने को मुक्त रख छोड़ा था।
अब वे दिन गए। अब तुम जितने स्वतंत्र हो,
उतनी ही स्त्री भी स्वतंत्र है।

और अगर तुम चाहते हो कि ईर्ष्या में
न जलों तो दो ही उपाय हैं।
एक तो उपाय है कि तुम स्वयं भी
वासना से मुक्त हो जाओ।

जहा वासना नहीं वहां ईर्ष्या नहीं रह जाती।
और दूसरा उपाय है कि अगर वासना से
मुक्त न होना चाहो तो कम—से—कम
जितना हक तुम्हें है, उतना हक दूसरे
को भी दे दो ! उतनी हिम्मत जुटाओ !

मैं तो चाहूंगा कि तुम वासना से मुक्त हो जाओ।
एक स्त्री जान ली तो सब स्त्रियां जान लीं।
एक पुरुष जान लिया तो सब पुरुष जान लिये ।
फिर जो भेद हैं, वे केवल ऊपरी रेखाओं के हैं !

और जो एक स्त्री को जानकर
स्त्रियों को नहीं जान पाया,
समझ लेना कि मूर्च्छित होकर जी रहा है !
वह अनंत स्त्रियों को जानकर भी नहीं जान पायेगा !
वह जान ही नहीं पायेगा ! क्योंकि जानना होता है
बोध से; वह मूर्च्छित है !

वह भागता रहेगा एक को
छोड्कर दूसरी के पीछे !

और निश्चित ही तुम जलोगे,
क्योंकि पुरुष के अहंकार को चोट लगेगी ।
इसको तो तुम समझते हो बिलकुल ठीक है,
कि तुम किसी दूसरे की स्त्री में उत्सुक हो
जाओ तो कोई अड़चन नहीं !

और कहते हैं : पुरुष आखिर पुरुष है !
पुरुषों ने ही गढ़ ली होगी यह कहावत
कि पुरुष आखिर पुरुष है।
पुरुषों ने ही यह हिसाब गढ़ लिये
कि पुरुष एक से तृप्त नहीं होता,
पुरुष को अनेक स्त्री चाहिये;
स्त्री एक से तृप्त हो जाती है !
ये पुरुषों की ही तरकीबें हैं !

स्त्री को एक से तृप्त होना
चाहिये—वह एक तुम हो !
और तुम... तुम कैसे एक
से तृप्त हो सकते हो,
तुम तो पुरुष हो,

पुरुष को तो सुविधा
ज्यादा होनी चाहिये !

मैंने सुना है,
मुल्ला नसरुद्दीन के पड़ोस
में श्रीमान मल्होत्रा नये-नये
आकर पड़ोसी हुए।
उनकी पत्नी बहुत सुंदर है।

मुल्ला ने अपनी पत्नी को चिढ़ाने
के लिए एक दिन सुबह उठते से ही कहा
कि : सुनो, नाराज न होना, कुछ दिनों से
रोज मुझे सपनों में श्रीमती मल्होत्रा दिखाई पड़ती हैं !

पत्नी बोली :
अकेले ही दिखाई देती हैं न ?
मुल्ला बोला. हां, पर तुम्हें कैसे पता चला ?
पत्नी ने कहा : क्योंकि श्रीमान मल्होत्रा
मेरे सपनों में आते हैं !
मुल्ला इससे बहुत दुखी था !
चले थे पत्नी को चिढ़ाने,
चिढ़ गए खुद !

जितनी स्वतंत्रता तुम अपने लिये चाहते हो,
उतनी ही स्वतंत्रता तुम्हारी पत्नी की भी है।
और अगर तुम पाते हो कि नहीं,

पत्नी का दूसरे पुरुषों में
उत्सुक होना उचित नहीं है,
तो फिर तुम्हारा भी दूसरी स्त्रियों
में उत्सुक होना भी उचित नहीं है।
और जो तुम चाहते हो तुम्हारी पत्नी करे,
वह तुम्हें पहले करना चाहिये;
तभी तुम हकदार हो !

अपनी वासना की दौडों को छोड़ो ।
और मैं तुमसे यह बात कहे देता हूं ,

स्त्रियां निश्चित ही इतनी ज्यादा
वासनाग्रस्त नहीं होतीं, जितने पुरुष होते हैं ।
स्त्रियों के पास एक तरह का समर्पणभाव होता है !
और स्त्रियों के पास एक तरह की निष्ठा और
आस्था और श्रद्धा होती है।

पुरुष का प्रेम भी छिछला होता है,
गहरा नहीं होता, ऊपर-ऊपर होता है।
पुरुष की जिंदगी में प्रेम ही सब कुछ नहीं होता,
और भी बहुत चीजें होती हैं,
स्त्री के जीवन में बस सब कुछ प्रेम ही होता है,
और सब चीजें प्रेम के ही भीतर समाविष्ट होती हैं।
पुरुष के जीवन में और भी कई काम हैं,
जिनमें प्रेम भी एक काम है।
स्त्री के जीवन में और कोई काम ही नहीं है,
सारा काम ही, सारे काम ही प्रेम में ही समाविष्ट हैं।

पुरुष उच्छृंखल है,
पुरुष चंचल है।

यह तुम छोटे—छोटे बच्चों में भी देख लेना।
छोटा लड़का हो, शात बैठ ही नहीं सकता।
चीजें पटकेगा, घड़ी खोलेगा,
मक्खियां पकड़ने लगेगा,
कुछ—न—कुछ करेगा खटर—पटर।
छोटी बच्ची है, वह शात बैठी है
एक कोने में ! हो सकता है,
अपनी गुड़िया को छाती से लगाये हो !

और तुम खयाल रखना,
स्त्रियों को पता चलना शुरू हो जाता है
गर्भ में भी कि लड़का है कि लड़की।
अगर जरा संवेदनशील स्त्री हो,
उसे पता चलना शुरू हो जाता है,

क्योंकि लड़का वहीं उपद्रव शुरू कर देता है।
कहीं टांग मारेगा, कहीं सिर हिलायेगा।
लड़की शात होती है।

अनुभवी मां को पता
चलना शुरू हो जाता है
कि लड़का है कि लड़की।
उपद्रव के अनुपात से पता
चलना शुरू हो जाता है।

इसका वैज्ञानिक कारण है।
जीवशास्त्र कहता है कि स्त्री
के व्यक्तित्व में अनुपात है,
पुरुष के व्यक्तित्व में अनुपात नहीं है।
स्त्री के जो गुण सूत्र हैं, वे सम हैं ।
एक अंडअणु और एक शुक्राणु
से मिलकर जन्म होता है

व्यक्ति का !
पुरुष और स्त्री के अणुओं
और शुक्राणु से मिलकर ।
पुरुष में चौबीस कोष्ठों वाले गुणसूत्र होते हैं !
तेईस गुण सूत्रों की जोड़ी सम होती है ।
चौबीसवे गुण सूत्र में दो तरह के अणु होते हैं

(x-y) । स्त्री में सभी चौबीस गुण
सूत्र जोड़ियाँ सम होती हैं (x-x) ।

जब पुरुष का चौबीस कोष्ठों वाला
अणु स्त्री के चौबीस कोष्ठों वाले
अणु से मिलता है तो लड़की
का जन्म होता है !

अड़तालीस अणु सम होते हैं ।
तराजू के दोनों पलड़े बराबर होते हैं !
और जब पुरुष का तेईस+xy
कोष्ठों वाला शुक्राणु स्त्री के
तेइस+xx वाले अंडाणु से मिलता है
तो पुरुष का जन्म होता है ।
समतुलता नहीं होती !

इसलिये स्त्री ज्यादा सुंदर होती है,
समानुपाती होती है, शात होती है !
उसमें एक तरह की समता होती है ।
एक तरह की थिरता होती है ।
पुरुष में थोड़ा सा तिरछापन होता है,
उसके वैज्ञानिक आधार भी हैं !

ढब्बू जी और उनकी पत्नी तीर्थयात्रा को गये।
ढब्‍बू जी किताबों के बड़े प्रेमी हैं,
चौबीस घंटे किताबें बगल में दबाये रहते हैं।
मंदिर में भी गए—विश्वनाथ के मंदिर में गये
होंगे काशी में। ढब्‍बू जी अपनी किताब ही
पढ़ रहे हैं मंदिर में भी खड़े होकर।
पत्नी प्रार्थना कर रही है।

अब उसका दुख तुम समझो।
उसने जोर से कहा : हे विश्वनाथ के देवता !
इतना भर करना, अगले जन्म में मरकर
मैं स्त्री न होऊं, किताब होऊं,
ताकि कम—से—कम ढब्‍बू जी के
साथ चौबीस घड़ी तो रह सकूं !

ढब्‍बू जी ने सुना ।
वह भी तत्‍क्षण झुक गए
घुटनों के बल, हाथ जोड़कर
कहा कि हे प्रभु ! अगर उसकी
प्रार्थना मान ही लो तो तुम इसे
टेलीफोन की डायरेक्टरी बनाना,
ताकि हर साल बदल सकूं !

पुरुष का चित्त ऐसा ही चंचल है ।
इस चंचलता को जाने दो। थोड़े थिर होओ।
थोड़े शात होओ। थोड़े जीवन में समझदार होओ।
बहुत दौड़ चुके जन्मों—जन्मों तक, कहां पहुंचे हो?
और कब तक दौड़ते रहोगे ? अब ठहरो !

ठहरें पांव तो मिले गांव।
ठहर जाओ तो गांव मिल जाये।
तो जिसकी तलाश है वह मिल जाये।
उस ठहरने का नाम ही ध्यान है।
चलते रहने का नाम संसार है।
ठहर जाने का नाम परमात्मा है !

                        -ओशो -मरौ हे जोगी मरौ
Kalpant Healing Center
Dr J.P Verma (Swami Jagteswer Anand Ji)
(Md-Acu, BPT, C.Y.Ed, Reiki Grand Master, NDDY & Md Spiritual Healing)
Physiotherapy, Acupressure, Naturopathy, Yoga, Pranayam, Meditation, Reiki, Spiritual & Cosmic Healing, (Treatment & Training Center)
C53,  Sector 15 Vasundra, Avash Vikash Markit, Near Pani Ki Tanki,  Ghaziabad
Mob-: 9958502499 

No comments:

Post a Comment