Tuesday 6 February 2018

जन्म के पहले क्षण से समाज का हस्तक्षेप

🌷  जन्म के पहले क्षण से समाज का हस्तक्षेप शुरू हो जाता है तुम्हें
मारने का। वह बच्चा पैदा नहीं हुआ, कि समाज मौजूद है। जैसे ही
बच्चा पैदा होता है, नवीनतम खोजें कहती हैं विज्ञान की कि जैसे ही बच्चा पैदा होता है सारी दुनिया में दाइयां, डाक्टर, नर्सेस बच्चे की नाल को तत्क्षण काट देते हैं। और नवीनतम विज्ञान की खोजे कहती हैं, कि बच्चे की नाल को तत्क्षण काटना सदा के लिए उसे कमजोर बना देना है। सदा के लिए। वह कभी बलवान न हो सकेगा। और सदा उसकी ऊर्जा क्षीण प्रवाह की होगी।

उसके पीछे कारण है। मां के पेट बच्चा श्वास खुद नहीं लेता। नाभि से जुड़े नाल से मां ही उसके लिए श्वास लेती है। मां की श्वास पर ही बच्चे का हृदय धड़कता है लेकिन बच्चा स्वयं श्वास नहीं लेता। श्वास, आक्सीजन, वायु, प्राण नाभि से भीतर जाते हैं। वह बच्चे की व्यवस्था है मां के पेट में, कि वह मां का एक अंग है। मां का अंग होकर जीता है।

जैसे ही बच्चा मां के पेट के बाहर आया, एकदम से श्वास नहीं ले
सकता। क्योंकि नये यंत्र को चलने में थोड़ा वक्त लगेगा।भीतर एक बड़ा रूपांतरण घटेगा। अभी तक नाभि से सांस ली थी, अब नाक से सांस लेगा। एक नई व्यवस्था शुरू होगी। इसमें कोई पांच मिनिट, सात मिनिट लगते हैं। लेकिन हम बच्चे की नाल तत्क्षण काट देते हैं। जब कि बच्चा मां से अभी नाल के द्वारा सांस ले ही रहा था। पांच-सात मिनट में रूपांतरण हो जाएगा। बच्चा सांस लेने लगेगा, उसका हृदय धड़कने लगेगा,तब तुम नाल को काटना। क्योंकि अब बच्चा स्वयं अपनी ऊर्जा को पाने लगा। ज्यादा देर नहीं लगती, पांच-सात मिनट का ही मामला है, लेकिन धैर्य नहीं है समाज को।

बड़े से बड़े अस्पताल में, कुशल से कुशल डाक्टर के नीचे भी वही हो
रहा है जो एक गैर-कुशल दाई गांव मग कर रही है। बे-पढ़ी लिखी दाई गांव में कर रही है। उनके काटने के ढंग बदल गए हैं। दाई बेहूदे ढंग से काटती है, उसके पास उतने कुशल औजर नहीं। डाक्टर बड़ी कुशलता से काटता है। उसके पास सुविधा संपन्नता है। सारे कुशल औजार हैं। लेकिन दोनों एक ही काम कर रहे हैं।

जैसे ही तुम नाल काट देते हो, सारे बच्चे का जीवनत्तंत्र जाता है, हड़बड़ा जाता है। और इसलिए बच्चा रो उठता है,चीखता है।
क्योंकि एक नई सांस की व्यवस्था उसको लेनी पड़ती है। घबड़ाहट से सांस लेता है। और पहली सांस जिसनेघबड़ाहट से, भय से, कंपन से ली हो उसमें जीवनभर भय और कंपन प्रविष्ट हो जाएगा। क्योंकि श्वास जीवन है। भय पहली ही श्वास से जुड़ गया। अब पूरा जीवन यह भयभीत आदमी होगा।

पांच मिनिट रुका जा सकता है। पांच मिनिट के बाद अपने आप नाभि से जुड़ा हुआ नाल और उसका कंवन बंद हो जाता है। पांच मिनिट तक कंपन जारी रहता है। क्योंकि धड़कन जारी रहती है, श्वास जारी हरती है। पांच मिनट में नाल अपने आप बंद हो जाती है। प्रकृति के द्वारा ही उसका कंपन बंद हो जाता है।

उसकी गर्मी और ऊर्जा खो जाती है। यंत्र बदल गया। अब तुम काट सकते हो। अब तुम मुर्दा चीज को काट रहे हो। पांच मिनिट पहले तुम जिंदा चीज को काट रहे थे, और तुमने बच्चे को पहला धक्का दे दिया, और बच्चा बहुत कोमल है, अति कोमल है।

नौ महीने मां के पेट में उसने कोई कष्ट नहीं जाना। कोई पीड़ा नहीं जानी। किसी तरह का दुख नहीं जाना। एकदम स्वर्ग से, आदमी के बगीचे से बाहर आ रहा है। और तुमने उसे पहला धक्का दे दिया। मनोवैज्ञानिक कहते हैं, यह जो धक्का है, यह सारी दुनिया को कमजोर बनाए हुए है। डाक्टर को जल्दी है। शायद वह कहेगा, कि पच्चीस और बच्चे होनेवाले हैं। हड़बड़ाहट है, बेचैनी है, उसका खून मन तना हुआ है।

और उसे पता नहीं, वह क्या कर रहा है। अब तो यह अचेतन का हिस्सा हो गया, कि बच्चा पैदा हुआ, नाल काट दी। जन्म की पहली घड़ी से भय समाविष्ट हो गया। अब तुम्हें कोई भी डरा सकेगा। सब तुम्हें कोई भी चीज डरा सकेगी। पुलिस का डंडा डरा सकेगा। पुरोहित की आवाज डरा सकेगी, कि नर्क चले जाओगे।
 अब तुम्हें कोई भी प्रलोभित कर लेगा। क्योंकि प्रलोभन भय का ही दूसरा रूप है। और यह चलती है समाज की व्यवस्था अंतिम क्षण तक, आखिरी दम तक। तुम जीना चाहो तो भी तुम स्वतंत्र नहीं; हस्तक्षेप है।
तुम मरना चाहो तो भी हस्तक्षेप है। मरने की स्वतंत्रता नहीं है। 💓

💞  ओशो  💞
Kalpant Healing Center
Dr J.P Verma (Swami Jagteswer Anand Ji)
(Md-Acu, BPT, C.Y.Ed, Reiki Grand Master, NDDY & Md Spiritual Healing)
Physiotherapy, Acupressure, Naturopathy, Yoga, Pranayam, Meditation, Reiki, Spiritual & Cosmic Healing, (Treatment & Training Center)
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