Tuesday 6 February 2018

शादीशुदा स्त्री पुरुष के अन्य से संबंधो का विज्ञान

**शादीशुदा स्त्री पुरुष के अन्य से संबंधो का विज्ञान**

पार्ट-1
आइये जाने अपने संबंधो की गहराई को ...

मैं इस पोस्ट में कुछ ऐसे संवेदनशील मुद्दों को उठाऊंगा जो आपको आपके जीवन की दिशा देने का काम करे
किसी को सही या गलत कहना मेरा काम नही
क्योंकि मेरा मानना है जो सही है उसका सही होना ही उसका इनाम और जो गलत है उसको तब ही कोई गलत कहे जब वो उसको सही राह दिखाने के साथ साथ उसका साथ दे सकने की योग्यता रखता हो

शादीशुदा महिला पुरुषो के किसी दूसरे से  प्रेम सम्बन्ध होना आज एक आम बात है
जिसके मुख्य कारण है

सेक्स में असंतुष्ट होना
भावात्मक संबंधो की तलाश
वैचारिक मतभेद
पैसे की कमी
टीवी चैनलो और फिल्मो के प्रभाव के कारण
कभी कभी कुछ लोग एडवेंचर के लिए भी ऐसा करते है
और अक्सर इन कारणों में से सभी कारण या कई कारण मिल कर भी अन्य की तरफ जाने का कारण बनते है

लगभग 95% शादीशुदा लोग दुसरो के संबंधो की चाह रखते है
जिसमे पुरषो का प्रतिशत 99.99 है जब्कि महिलाओ का 90%

जब मेरी ये पोस्ट आप पढ़ रहे होंगे तो आप अपने को इस 90% में नही बताना चाहेंगे
लेकिन आप क्या है ये तो वास्तव में आपको पता ही है

लेकिन इन संबंधो के बारे में गहराई से जानने के लिए
हमें स्त्री पुरुष के स्वाभाव को समझना होगा

पुरुषो का स्वभाव -- सबसे पहले बात ये है कि प्रेम की ज़रूरत तो हमारे सामजिक परिवेश और माहौल से पैदा होती है जिसके कारण प्रेम की परिभाषा करना असंभव है लेकिन इंसान को सेक्स के जैविक दवाव के आधार पर उसके स्वाभाव को प्रेम के साथ जोड़ कर बहुत कुछ समझा जा सकता है
जैसे पुरुष को प्रतिदिन 30 लाख शुक्राणु पैदा होते है और इतने सारे शुक्राणुओ के जैविक दवाव के कारण पुरुष के अंदर सेक्स को लेकर इतने तरह के विचार चलते है जिसको वो भी समझ नही पाता
क्योंकि हर स्पर्म का अपना स्वाभाव होता है और उसके जन्म के लिए एक ख़ास तरह के गर्भ की ज़रूरत होती है
और जब उस स्पर्म की जन्म लेने की चाह (जी हा स्पर्म की भी चाह होती है ) प्रगाढ़ होती है तब वो इंसान की आँख के माध्यम से स्त्री को देखता है और जब उसके योग्य कोई गर्भ उसको नज़र आता है तो उस इंसान को उस स्त्री को देख कर सेक्स की चाह उठती है
और समझा पुरषो को गलत जाता है

इसलिए हमें सबसे पहले ये मान ही लेना चाहिए कि सेक्स को लेकर पुरुष कभी भी एक स्त्री के प्रति ईमानदार नही हो सकता क्योंकि ये उसकी जैविक मजबूरियों में से एक है

दूसरी ओर जब वो विवाह करता है तो कुछ वक़्त तक तो वो ईमानदार रह सकता है क्योंकि उसको लगता है कि उसकी सभी कल्पनाओ (सेक्स) को पूरा करने का साधन मिल गया

लेकिन जैसे जैसे वो स्त्री के शरीर को जानता जाता है उसकी कल्पनाओ में कई कल्पनाओ को पूरा होने के अवसर दिखाई नही देते और तब वो उन्ही कल्पनाओ की तलाश में (जो कल्पनायें उसके अंदर पैदा हो रहे स्पर्म ने उसके दिमाग को दी है) दूसरी स्त्री की तरफ भागता है
लेकिन स्पर्म को ये नही मालुम की जिस इंसान के अंदर वो मौजूद है वो इंसान जिस समाज में जीता है वहां सेक्स को लेकर कुछ मान मर्यादाये तय कर दी गयी है
यही अन्तद्वैत ने स्त्री पुरषो के संबंधो में बहुत कुरूपता पैदा की है
क्योंकि आज तक के इतिहास में किसी ने भी स्त्री पुरुष के संबंधो को उनके जैविक दवाव के आधार पर देखने की कोशिश नही की और हमेशा ही पुरुष को गलत समझा गया

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स्त्री का स्वभाव -- स्त्री के स्वभाव को समझने के लिए भी उसके जैविक आधार को समझना बहुत आवश्यक है
सबसे पहले तो ये जान ले कि स्त्री को हर माह एक अंडा मिलता है जो कि लगभग 14 से 20 दिन तक एक्टिव रहता है जो उसको गर्भधारण में मदद करता है लेकिन स्त्री का ये अंडा गर्भधारण करने के लिए बाहर नही जाता बलकी उसके शरीर का ही उपयोग करता है इसलिए स्त्री को भूमि कहा गया

और जब कोई भूमि किसी बीज को जमने के लिए चुनती है तो कुछ बातो का ख्याल करती है जिसमे सबसे
पहला ख्याल है कि जो बीज भूमि को अपने उपयुक्त लगता है वो ही बीज चुनती हर बीज को नही
और दूसरा ये कि जिस बीज को वो चुनती है उसकी सुरक्षा का ख्याल रखे
और साथ ही जब वो बीज वृक्ष का रूप लेकर बाहर भी आ जाता है तब भी उसका प्रेम उसके लिए बरकरार रहता है

इन तीन चीजो से मिलकर स्त्री का स्वाभाव बनता है कि वो हर पुरुष को अपनी और नही आने देती
लेकिन जब कोई पुरुष उसको इस योग्य नज़र आता है तो दूसरी चीज वो ये करती है कि उस पुरुष में वो सुरक्षा को देखती है जिस सुरक्षा को वो खोना नही चाहती
जिसमे
धन , ताक़त , तर्क , और देश काल परिस्तिथि के हिसाब से और भी कुछ चीजे शामिल हो सकती है

और इन सबके बाद जब उस इंसान से कोई बच्चा जन्मती है तो उस बच्चे से उसका मोह भी बहुत अधिक होता है
इसलिए स्त्री को
सामजिक और शारीरिक सुरक्षा के साथ साथ जलन और मोह जैसे रोग अधिक परेशां करते है

Kalpant Healing Center
Dr J.P Verma (Swami Jagteswer Anand Ji)
(Md-Acu, BPT, C.Y.Ed, Reiki Grand Master, NDDY & Md Spiritual Healing)
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